कुछ बातें-२
राधा कृष्णन ए.टी
9581598715
मेरे प्रिय साथी
तू ही मेरा लोभ
तू ही मेरी छाया
तू ही मेरी पीड़ा
तू ही मेरी चिंता
तू ही मेरा अपराध बोध
तू ही मेरी आशा - निराशा
तू ही मेरी हताशा
तू ही मेरा अकेलापन
तू ही मेरी ऊब
मेरे प्रिय "दुःख"
आप जाना नहीं दूर
मेरा प्रिय मित्र
इसलिए मैं सन्यासी
नहीं तो मैं अहंकारी !!!
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