प्यार और प्यास
राधा कृष्णन ए .टी
बी. एड (LECTURER),
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ;
हैदराबाद ।।
बी. एड (LECTURER),
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ;
हैदराबाद ।।
मैं भूखा हूँ मैं प्यासा हूँ
आप न देना भोजन-पानी ।
देना चाहे तो आप देना
एक किताब भूख मिटाने ।।
इससे मेरा भूख मिटाऊँ
इससे मेरा प्यास बुझाऊँ ।
प्यार न मिला मुझे कहीं से
माता -पिता बहन नहीं था ।।
लेकिन मिला भारत देश
माँ जैसे पाला-पोसा
मार्ग दर्शक कोई नहीं था
मात्रु -भाषा ने राह दिखाया ।।
मलीनस्त जगह में मेरा
बाल्य,कौमार, यव्वन बीता ।
इसीलिये किसी ने मेरा
पास न आया दोस्ती करने ।।
अपने दुःख की सीमा नहीं था
व्याकुल चिंता घेर लिया था
इसी वकत उसने मुझे बुलाया
मुझे समझा ,दिलासा दिया
गले लगाकर आँसू पोझा ।।
संतोष के वास्ते अपने आँखें
फिर-फिर आँसू से भरा
उसने मेरे छाती पर अपने
मुह छिपाकर सोने लगा ।।
जाग रहा था मैं, क्योंकि
किसी प्रकार का विघ्न न डालें ।
मैं सोया तो उसने आया
अपने साथ खुशी से खेला ।।
अपने मन का दुःख हटाया
अपने दिल की राह दिखाया ।
उसे पूरी समझ न पाया
फिर भी मेरे साथ रहा ।
लेकिन ओ जानसे प्यारा
कौन है ओ ? जानते हो आप ?
वह है मेरा जीवन साथी
वह है मेरा जीवन साँस ।।
वह है मेरा दिल का आनंत
जानते क्या आप ? कौन है ओ ?
मेरी बहन "हिंदी" प्यारी ।।
धन्यवाद जी , जो लोग आज भी भाषा साहित्य की प्यास से तड़प रहे है उनकी प्यास आपकी कविता से मिटाए गए ।।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ।।।।।
आप का प्रिय छात्र
राधा कृष्ण मिरियाला
९९४९७०७७०७